प्रत्येक जाति को अपने पूर्व महापुरुषों पर गर्व होता है। वे उनके प्रेरणा स्रोत होते हैं। उनके आचार-विचार का उनके जीवन पर अनन्य प्रभाव पड़ता है। हमारी जाति में अनेकानेक संत, विद्वान, शिक्षक आदि हुये हैं जिन्हें हम बड़े गौरव से याद कर उनके पद चिन्हों पर चलने का पूर्ण प्रयत्न करते हैं।
किन्तु ऐसे सभी संत महापुरुषों के जीवन वृत्तांत उपलब्ध नहीं होने एवं उक्त महापुरुषों के वंशजों से निरन्तर सम्पर्क करने के बावजूद भी हमें वांछित जानकारी नहीं मिल सकी है। इस सम्बन्ध में स्व. गोकुल नारायण जी व्यास एवं स्व. पुरोहित गोपाललाल जी, प्रिसिपल पारीक कॉलेज, जयपुर से वार्तालाप होने पर उन्होंने अपनी स्मृति के आधार पर हमारे पूर्व महापुरुष हुये हैं, उनकी जो जानकारी कराई तथा 'पारीक'(1925), 'पारीक प्रकाश'
(1926) से प्राप्त जानकारी के आधार पर उनकी जीवनी इस अध्याय के अंत में दी जा रही है। हमारा निवेदन है कि जिन महानुभावों को हमारे पूर्व महापुरुषों के सम्बन्ध में जानकारी हो वे हमें भेजने का कष्ट करे जिससे की आगामी संस्करण में उनका जीवन परिचय दिया जा सके।
हमें जो जीवन वृत्त मिले हैं उनका विवरण निम्न प्रकार है-
1. भक्त कर्मेति जी पारीक
2. भक्त खोजी जी पारीक
3. भक्त जगन्नाथ जी पारीक
4. ऋषि कन्थर जी पारीक
5. महाराज गणेशनाथजी जी
6. महाराज सुरजपुरी जी
7. श्याम जी पांडिया
8. देवर्षि जी पुरोहित
9. शोभाराम जी किकरालिया
10. बड़े गोपालदास जी पारीक
11. सीकर के पुरोहित जी
12. संतदास जी पारीक
13. मोहन जी कांथडिया
14. जनाशंकर जी पुरोहित
15. पर्वत जी पुरोहित
16. हरिवंश जी कांथडिया
17. केशव जी पारीक
18. गंगाराम जी पारीक
19. अमरू जी पारीक
20. आदूजी जी पारीक
21. रामानंद जी पारीक
22. हरीद्विज, हरिदेव जी
23. बनवारीदास, हरिदास जी
24. मनभावन जी पारीक
25. शम्भूराम जी मिश्र
26. लोकमणि जी पारीक
27. चेनाराम जी तिवाडी
28. रुद्रमन जी तिवाडी
29. वराह जी पुरोहित
30. सुधन्वा जी पारीक
31. ज्ञानचूड़ जी बोहरा
32. अगराराम जी पाण्डिया
33. प्रहलाददास जी पारीक
34. बलभद्र जी पुरोहित
35. बक्ष जी पुरोहित
36. राघवदास जी पुरोहित
37. किशोर जी पुरोहित
38. भूधर जी पारीक
39. लल्लू जी मिश्र
40. सूखराम जी पारीक
41. हृदयराम जी पारीक
(1) पारीक फरवरी 1929 वर्ष-4- का अंक 10 पृ. 3
प्रस्तुत अध्याय में में बीसवीं शताब्दि के पूर्व के महापुरुषों का जीवनवृत्त व नामावली जो उपलब्ध हुई, दी गई है। बीसवीं शताब्दि के महापुरुषों का जीवनवृत्त अन्य पुस्तक में प्रकाशित होगा। उनका विवरण जातीय बंधु भेजे, प्रार्थनीय है।
हमारी जाति के इस शाताब्दि के पूर्व में कतिपय पूर्व महापुरुषों की नामावली
पारीक ब्राह्मणों के निम्न गौत्र हैं। पारीक्ष संहिता पृष्ठ 42 एवं पारीक्ष ब्राह्मणोत्पत्ति, पृष्ठ 25 में गौत्रों की संख्या 12 बताई गई है। तथा निम्न गौत्रों के अतिरिक्त 1 और गौत्र मुद्गल गौत्र अंकित किया गया है।
लोकमणी जी, मेड़ताकरमेतीबाईफतेहकिशनजी
सेढ़ाजी इरजीपरवत जी
मधुसूदन जी सूरतराम जीहरनाग जी
पीताम्बर जीहरशरण जीशिवलाल जी
जयचंद जीमहालाल जीमधुसूदन जी
श्रीधर जीफतेहकिशन जीमानजी दास जी
जयनारायण जी अमरू जीशिवनंदजी
गंगाराम जीशिवरामजीश्रीधर जी
जोगाजी जोशी चूड़ाजी बोहराफतेह कृष्ण जी
वृन्दावन जी व्यासहरसहाय जीपु. राघव जी
रा.पु. कान्हे जीचतुर्भुज जीपु. हरिवंश जी
बोहरा जीशिवनारायण जी पद्माकर जी
पीताम्बर जीराजा हरिराम जी खटोड़राघोजी
षटशास्त्री रघुनाथ जीकानड़ जीबक्षा जी
हरिदेव जीभक्त जगन्नाथ जी पारीककिशोर जी
हरिद्विज जीरामनाम के आड़तियाभक्त खोजी जी
हेमराज जीवृंदावनपु. रोडूरामजी
अभयराम जीति. चेनारामजीपु. भजनलाल जी
मिश्र शम्भूराम जीबोहरा गंगासहाय जीपं. राधाकिशन जी
रुद्रभान जी तिवाड़ी
1857 के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम (गदर) के प्रथम विद्रोही सिपाही मंगल पांडे के परिवार की एक पारीक सामन्त द्वारा किए गए पालन-सुरक्षा के सम्बन्ध में "धर्मयुग" साप्ताहिक (दि. 15.1.1984) से उद्धृत लेखांश।
मंगल पांडे की पत्नि भी अपने पुत्र 'कीर्ति' को लेकर मेवाड़(राजस्थान) पहुंची। किन्तु वहां भी अपने को असुरक्षित समझ कर जयपुर चली गई, जहां कि तत्कालीन महाराजा माधोसिंह जी के एक प्रमुख आमात्य रामप्रताप पुरोहित ने उनके रहने एवं कीर्ति की पढ़ाई का पूरा-पूरा प्रबंध किया। 17 अप्रैल, 1890 को अमर शहीर पांडे की धर्म पत्नि भी अपने पुत्र तथा अपने दो पोतों को छोड़कर स्वर्ग सिधार गई।
स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी मंगल पांडे के परिवार के लिए जयपुर राजघराने द्वारा किया गया। मानवीय कर्त्तव्य पालन हम सभी भारतीयों के लिए गौरव का विषय है। जब कभी जयपुर के महाराजा मानसिंह एवं मेवाड़ के महाराणा प्रताप का जिक्र आता है, तो महाराजा मानसिंह आलोचना के पात्र होते हैं। किन्तु लोग यह भूल जाते हैं कि इस राजघराने ने कई स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को पनाह भी दी है।